हर इंसान अपने जीवन में आर्थिक स्थिरता चाहता है। लेकिन कई बार मेहनत करने के बाद भी पैसा टिकता नहीं है। कोई अचानक कर्ज़ (Loan) में डूब जाता है, किसी का व्यापार घाटे में चला जाता है और कुछ लोग लाख कमाने के बावजूद बचत (Saving) नहीं कर पाते। आखिर ऐसा क्यों होता है?
ज्योतिष शास्त्र (Vedic Astrology) बताता है कि हमारी आर्थिक स्थिति केवल परिश्रम और योजनाओं पर नहीं बल्कि हमारी जन्मकुंडली (Horoscope) में स्थित ग्रहों पर भी निर्भर करती है। कुछ ग्रह शुभ होने पर धन वृद्धि और स्थिरता देते हैं, जबकि अशुभ होने पर बार-बार आर्थिक संकट खड़े करते हैं।
आइए जानते हैं कि वित्तीय समस्याओं के पीछे कौन से ग्रह जिम्मेदार होते हैं और उनके प्रभाव से कर्ज़, घाटा या सेविंग न होने की स्थिति क्यों बनती है।
कर्ज़ (Loan) लेने के पीछे ग्रहों की भूमिका
मंगल (Mars) – उधार और विवाद का कारक
- मंगल ऊर्जा और भूमि का कारक है, लेकिन जब यह अशुभ होता है तो व्यक्ति को कर्ज़ और कोर्ट–कचहरी में उलझा देता है।
- यदि मंगल छठे भाव (ऋण भाव) या आठवें भाव (विपत्ति भाव) में हो, तो व्यक्ति पर बार-बार कर्ज़ चढ़ता है।
- मंगल की अशुभ दशा–अंतरदशा में अचानक कर्ज़ लेने की स्थिति बनती है।
राहु – अचानक कर्ज़ और धोखा
- राहु माया और छल का कारक है। इसकी वजह से व्यक्ति बिना योजना बनाए कर्ज़ ले लेता है।
- राहु जब छठे या बारहवें भाव में हो तो व्यक्ति हमेशा कर्ज़ में दबा रहता है।
- राहु की महादशा में धोखाधड़ी और उधार की समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
शनि – लंबे समय का कर्ज़
- शनि धीमी गति से फल देने वाला ग्रह है। यदि यह अशुभ हो, तो व्यक्ति को लॉन्ग–टर्म लोन लेना पड़ता है।
- शनि के प्रभाव से व्यक्ति बार-बार कर्ज़ चुकाने की कोशिश करता है, लेकिन पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाता।
कर्ज़ से जुड़ी समस्या छठे भाव और उसके स्वामी ग्रह से देखी जाती है।
अचानक घाटा या दिवालियापन क्यों होता है?
राहु और केतु – अचानक हानि के कारक
- राहु अचानक लाभ देता है, लेकिन अशुभ स्थिति में यह अचानक घाटा और धोखा भी कराता है।
- केतु की वजह से व्यक्ति बिना सोचे-समझे निवेश करता है और नुकसान उठाता है।
- यदि राहु–केतु पाँचवें भाव (सट्टा/शेयर), आठवें भाव (हानि) या बारहवें भाव (खर्च) में हों, तो दिवालियापन की संभावना बढ़ जाती है।
शनि – देरी और भारी नुकसान
- शनि जब नीच का हो (मेष राशि) या पाप ग्रहों से प्रभावित हो, तो व्यापार धीरे-धीरे घाटे में चला जाता है।
- शनि की दशा में कोर्ट-कचहरी, टैक्स और देरी से भारी आर्थिक नुकसान होता है।
बुध – गलत निर्णय और व्यापारिक हानि
- बुध बुद्धि और व्यापार का ग्रह है।
- यदि यह अशुभ हो तो व्यक्ति गलत फैसले लेकर बार-बार घाटा झेलता है।
- बुध पीड़ित हो तो पार्टनरशिप बिज़नेस में धोखा भी मिल सकता है।
अचानक दिवालियापन का मुख्य कारण राहु–केतु और अशुभ बुध–शनि का मेल होता है।
अशुभ ग्रहों की वजह से सेविंग न होना
कई लोग अच्छी कमाई करने के बावजूद सेविंग (Saving) नहीं कर पाते। यह समस्या निम्न ग्रहों की वजह से होती है:
चंद्रमा – अस्थिर मन और खर्च
- चंद्रमा यदि अशुभ हो तो व्यक्ति भावनात्मक खर्च करता है।
- कमजोर चंद्रमा व्यक्ति को बचत नहीं करने देता और धन हाथ से फिसलता रहता है।
शुक्र – विलासिता और खर्चीला स्वभाव
- शुक्र ऐश्वर्य और विलासिता का कारक है।
- अशुभ शुक्र व्यक्ति को फिज़ूलखर्च बनाता है – गहनों, कपड़ों, मनोरंजन और विलासिता पर अधिक खर्च होता है।
राहु – दिखावे के खर्च
- राहु की वजह से व्यक्ति दूसरों को दिखाने के लिए पैसा खर्च करता है।
- राहु पीड़ित हो तो सेविंग कभी नहीं हो पाती।
खर्च और सेविंग बारहवें भाव और उसके स्वामी ग्रह से देखी जाती है।
वित्तीय समस्याओं से जुड़े ज्योतिषीय भाव
- दूसरा भाव (धन भाव): धन अर्जन और बचत।
- छठा भाव (ऋण भाव): कर्ज़, लोन और उधार।
- आठवां भाव (विपत्ति भाव): हानि, घाटा और संकट।
- ग्यारहवां भाव (लाभ भाव): आय और लाभ।
- बारहवां भाव (व्यय भाव): खर्च और सेविंग न होना।
यदि ये भाव अशुभ ग्रहों से प्रभावित हों तो वित्तीय संकट बार-बार सामने आते हैं।
वित्तीय समस्याओं से बचने के ज्योतिषीय उपाय
- मंगल शांत करें → मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें, मसूर दाल का दान करें।
- शनि को प्रसन्न करें → शनिवार को तिल का तेल दान करें, गरीबों को भोजन कराएँ।
- राहु–केतु को शांत करें → शनिवार को राहु–केतु मंत्र का जाप करें।
- चंद्रमा मजबूत करें → सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाएँ, सफेद वस्त्र पहनें।
- शुक्र को मजबूत करें → शुक्रवार को गरीब कन्याओं को दान करें, सफेद चावल दान करें।
वित्तीय समस्याएँ केवल मेहनत या व्यापारिक फैसलों की वजह से नहीं आतीं, बल्कि ग्रहों की स्थिति भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- कर्ज़ लेने के पीछे मंगल, राहु और शनि जिम्मेदार होते हैं।
- अचानक घाटा या दिवालियापन राहु–केतु, शनि और बुध की अशुभ स्थिति से होता है।
- सेविंग न होना चंद्रमा, शुक्र और राहु की वजह से होता है।
यदि कुंडली में ये ग्रह अशुभ हों तो जीवन बार-बार आर्थिक संकट से गुजरता है। लेकिन सही ज्योतिषीय उपाय और ग्रहों को संतुलित करने से वित्तीय स्थिरता प्राप्त की जा सकती है।