कर्मिक नोड्स (राहु और केतु) और 7वें भाव में उनका प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में राहु और केतु को कर्मिक नोड्स कहा जाता है। ये ग्रह जीवन में अनुभव और सीख के […]
वैदिक ज्योतिष में राहु और केतु को कर्मिक नोड्स कहा जाता है। ये ग्रह जीवन में अनुभव और सीख के […]
वैदिक ज्योतिष में शनि (Saturn) को विलंब, अनुशासन और कर्मिक परिपक्वता का ग्रह माना जाता है। इसे “महाप्रतीक्षक” भी कहा
वैदिक ज्योतिष में सप्तम भाव (7th House) का अत्यधिक महत्व है। यह भाव न केवल विवाह और जीवनसाथी का प्रतिनिधित्व
वैदिक ज्योतिष में कुंडली के बारह भाव जीवन के बारह अलग-अलग पहलुओं को दर्शाते हैं। हर भाव अपने अंदर एक
ज्योतिष शास्त्र में सप्तम भाव (7th House) जीवनसाथी, विवाह और साझेदारी का प्रतीक है, जबकि अष्टम भाव (8th House) गुप्त
वेदिक ज्योतिष में सप्तम भाव (7th House) विवाह, साझेदारी और जीवनसाथी का प्रतीक है, जबकि अष्टम भाव (8th House) परिवर्तन,
वैदिक ज्योतिष में 12 भाव हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें से 7वाँ भाव (सप्तम भाव)
भारतीय वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) में जन्म कुंडली को 12 भावों (Houses) में बाँटा गया है। प्रत्येक भाव जीवन के
वैदिक ज्योतिष एक अद्भुत विज्ञान है जो केवल बाहरी जीवन ही नहीं बल्कि हमारी आत्मा और कर्म की गहराई तक
वैदिक ज्योतिष केवल जन्म कुंडली (D-1) तक सीमित नहीं है। प्राचीन ऋषियों ने जीवन के अलग-अलग पहलुओं को समझने के