मंगल दोष (Kuja Dosha / Mangal Dosha) : विवाह में देरी और उसके उपाय

प्रस्तावना

वैदिक ज्योतिष में विवाह का महत्व अत्यंत गहरा है। जब भी विवाह में देरी, कलह, अस्थिरता या बार-बार रिश्ते टूटने जैसी स्थितियाँ बनती हैं, तो ज्योतिष शास्त्र में सबसे पहले मंगल दोष (Kuja Dosha / Mangal Dosha) की जाँच की जाती है।
मंगल ग्रह ऊर्जा, जोश, आत्मबल और उत्साह का प्रतीक है। लेकिन यदि यह अशुभ स्थानों पर स्थित हो, तो यही ऊर्जा अधीरता, गुस्सा, अहंकार और टकराव में बदल जाती है। यही स्थिति विवाह में अड़चन और अशांति का कारण बनती है।

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 मंगल दोष को ज्योतिष शास्त्र में कुज दोष, भौम दोष और अंगारक दोष भी कहा जाता है।

मंगल ग्रह का ज्योतिषीय महत्व

  • मंगल अग्नि तत्व ग्रह है।
  • यह भूमि, साहस, पराक्रम, इच्छाशक्ति, भाईबंधु और ऊर्जा का कारक है।
  • लेकिन विवाह के संदर्भ में मंगल की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्रोध, गुस्सा और झगड़े का प्रतिनिधित्व करता है।
  • यदि मंगल शुभ स्थानों पर हो तो साहस और आकर्षण देता है, लेकिन अशुभ स्थानों पर होने पर विवाह में देरी और दिक्कतें उत्पन्न करता है।

मंगल दोष कब बनता है?

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जन्म कुंडली (D-1) में यदि मंगल 1, 4, 7, 8 या 12वें भाव में स्थित हो तो मंगल दोष उत्पन्न होता है।

प्रथम भाव (लग्न)

  • मंगल यहाँ व्यक्ति को क्रोधी और अधीर बनाता है।
  • अहंकार और आत्मकेंद्रित स्वभाव के कारण दांपत्य जीवन प्रभावित होता है।
  • विवाह में देरी और रिश्ते टूटने की संभावना रहती है।

 चतुर्थ भाव (घरपरिवार)

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  • यहाँ मंगल व्यक्ति को परिवार और गृहस्थ जीवन में अस्थिरता देता है।
  • विवाह के बाद जीवनसाथी से घरेलू विवाद और मानसिक तनाव बढ़ सकता है।

 सप्तम भाव (जीवनसाथी)

  • यह विवाह का मुख्य भाव है।
  • मंगल यहाँ आकर सीधा जीवनसाथी और दांपत्य सुख को प्रभावित करता है।
  • लगातार बहस, ईगो क्लैश और रिश्तों में तनाव उत्पन्न होता है।

4️अष्टम भाव (गोपनीयता और आयु)

  • विवाह जीवन में शारीरिक और मानसिक असंतोष देता है।
  • पति-पत्नी के बीच दूरी, अविश्वास और शक की स्थिति।
  • कई बार यह स्थान ससुराल पक्ष से कष्ट भी देता है।

द्वादश भाव (व्यय और नींद)

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  • जीवनसाथी के साथ भावनात्मक दूरी।
  • अनावश्यक खर्च और दाम्पत्य जीवन में स्थिरता की कमी।
  • वैवाहिक सुख बाधित।

यही कारण है कि मंगल दोष को विवाह में सबसे बड़ा विलंब कारक माना जाता है।

मंगल दोष के प्रकार

  1. पूर्ण मंगल दोष – जब मंगल अकेला और अशुभ स्थिति में हो।
  2. आंशिक मंगल दोष – जब मंगल अशुभ भाव में हो लेकिन शुभ दृष्टि से प्रभावित हो।
  3. अंशात्मक दोष – केवल कुछ हद तक विवाह प्रभावित होता है।

मंगल दोष के प्रभाव

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  • विवाह में बार-बार देरी।
  • रिश्ते तय होकर टूट जाना।
  • वैवाहिक जीवन में झगड़े और अलगाव।
  • जीवनसाथी का स्वास्थ्य प्रभावित होना।
  • विवाह टूटने की संभावना (डिवोर्स योग)।
  • अहंकार और असहयोग से संबंधों में कड़वाहट।

क्या हर मंगल दोष अशुभ होता है?

नहीं। सभी मंगल दोष पूरी तरह नकारात्मक नहीं होते।

दोष कम होने के योग:

  • यदि मंगल उच्च का हो (मकर राशि)।
  • यदि मंगल मित्र राशि में हो (मेष, सिंह, धनु)।
  • यदि मंगल को गुरु की दृष्टि मिल जाए।
  • यदि जन्मकुंडली में शुक्र और गुरु मजबूत हों।
  • यदि दोनों वर-वधू में मंगल दोष हो → यह दोष निष्प्रभावी हो जाता है।

विवाह में देरी के मुख्य कारण (मंगल दोष से)

  1. अत्यधिक अपेक्षाएँ (High Expectations)।
  2. झगड़ालू और ईगो क्लैश।
  3. रिश्तों को निभाने में अधीरता।
  4. परिवारिक असहमति।
  5. जीवनसाथी या रिश्ते में अस्थिरता।

मंगल दोष निवारण उपाय

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मंगल दोष का प्रभाव कम करने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं।

धार्मिक उपाय

  1. हनुमान जी की उपासना – मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ।
  2. सुंदरकांड पाठ – मंगल दोष के निवारण का श्रेष्ठ उपाय।
  3. मंगल ग्रह के मंत्र का जाप
    • मंत्र: क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
    • 108 बार जाप, मंगलवार को।

दान और व्रत

  1. मंगलवार को लाल वस्त्र, मसूर की दाल, गुड़ और तांबे का दान करें।
  2. मंगलवार का उपवास करें।

रत्न उपाय

  • मूंगा (Coral Gemstone) पहनना शुभ होता है।
  • इसे दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में तांबे की अंगूठी में धारण करें।

विशेष उपाय

  • मंगल दोष शांति पूजा और कुज दोष निवारण हवन।
  • विवाह से पहले कुंभ विवाह या पीपल/वट वृक्ष से विवाह कराना।

नवांश कुंडली (D-9) में मंगल दोष

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  • यदि D-9 (Navamsa) चार्ट में भी मंगल अशुभ स्थान पर हो तो दोष और अधिक गंभीर हो जाता है।
  • जीवनसाथी से मेलजोल कठिन होता है।
  • विवाह के बाद कलह और दूरी बनी रहती है।

मंगल दोष (Kuja Dosha / Mangal Dosha) वैदिक ज्योतिष में विवाह की सबसे महत्वपूर्ण बाधाओं में से एक है। यह दोष तब बनता है जब मंगल 1, 4, 7, 8 या 12वें भाव में स्थित हो। इसके कारण विवाह में देरी, दांपत्य जीवन में तनाव, झगड़े और अलगाव तक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
हालाँकि, सही ज्योतिषीय विश्लेषण और उचित उपायों द्वारा मंगल दोष के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

इसलिए, विवाह से पहले हमेशा कुंडली मिलान और मंगल दोष की जाँच अनिवार्य रूप से करनी चाहिए।

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