अष्टकूट मिलान और 36 गुणों का महत्व – कुंडली मिलान का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

शादी सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं होती, बल्कि दो आत्माओं, दो संस्कृतियों और दो कुलों का मिलन होती है।** यही कारण है कि हिंदू वैदिक परंपरा में विवाह से पूर्व *कुंडली मिलान* की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस प्रक्रिया में *अष्टकूट मिलान* विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

अष्टकूट मिलान क्या है?

‘अष्ट’ का अर्थ होता है **आठ** और ‘कूट’ का अर्थ है **वर्ग या पक्ष**। जब दो लोगों की जन्म कुंडलियों की तुलना की जाती है तो आठ प्रमुख बिंदुओं पर गुणों की गणना की जाती है, जिन्हें *अष्टकूट* कहा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में **कुल 36 गुण** मिलाए जाते हैं।

यदि दो लोगों के **गुण 18 से कम मिलते हैं**, तो विवाह को *अनुचित* माना जाता है। वहीं **32-36 गुणों का मिलान** सर्वोत्तम माना जाता है।

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अष्टकूट के आठ अंग – कौन-कौन से होते हैं?

| क्रम | कूट का नाम      | गुणों की संख्या | महत्व                    |

| —- | ————— | ————— | ———————— |

| 1    | **वर्ण कूट**    | 1 गुण           | मानसिक साम्य             |

| 2    | **वश्य कूट**    | 2 गुण           | एक-दूसरे पर नियंत्रण     |

| 3    | **तारा कूट**    | 3 गुण           | स्वास्थ्य और दीर्घायु    |

| 4    | **योनि कूट**    | 4 गुण           | शारीरिक अनुकूलता         |

| 5    | **ग्रह मैत्री** | 5 गुण           | स्वभाव और सोच की समानता  |

| 6    | **गण कूट**      | 6 गुण           | स्वभाव और प्रकृति        |

| 7    | **भकूट कूट**    | 7 गुण           | संतान सुख और गृहस्थ जीवन |

| 8    | **नाड़ी कूट**   | 8 गुण           | अनुवांशिकता और स्वास्थ्य |

**कुल योग = 36 गुण**कितने गुण मिलने पर विवाह योग्य माना जाता है?

* **18 से कम गुण:** विवाह को असफल और बाधाओं से युक्त माना जाता है।

* **18 से 24 गुण:** औसत मिलान – विवाह संभव है लेकिन सावधानी और उपाय आवश्यक हैं।

* **25 से 32 गुण:** अच्छा मिलान – दांपत्य जीवन सुखमय रहने की संभावना।

* **33 से 36 गुण:** उत्तम और आदर्श मिलान – एक दूसरे के लिए बने हुए जोड़े।

*नाड़ी दोष* और *भकूट दोष* होने पर गुण अधिक होने पर भी विवाह वर्जित माना जाता है। इनका विशेष समाधान आवश्यक होता है।

आधुनिक समय में क्या 36/36 गुण मिलना ज़रूरी है?

नहीं। वर्तमान सामाजिक और मानसिक परिवर्तन को देखते हुए *पूर्ण 36 गुण* मिलना आवश्यक नहीं है। यदि *18 या उससे अधिक गुण मिलते हैं* और *नाड़ी, भकूट, योनि दोष नहीं है*, तो विवाह संभव माना जाता है।

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एक्सपर्ट सुझाव:

* गुण मिलान के साथ-साथ *नवमांश कुंडली (D-9)* और *ग्रहों की स्थिति* का विश्लेषण भी करना जरूरी है।

* केवल अंक देख कर निर्णय न लें, बल्कि भावात्मक, मानसिक और सांस्कृतिक समानता को भी ध्यान में रखें।

क्या उपाय हैं यदि गुण कम मिलते हों?

1. **विशेष मंत्र जाप और पूजा** – जैसे *नाड़ी दोष निवारण यज्ञ*, *मंगल दोष शांति* आदि।

2. **रत्न धारण** – वैदिक सलाह अनुसार उचित रत्न धारण कर दोष कम किया जा सकता है।

3. **दान और व्रत** – ग्रह दोषों के लिए दान और उपवास उपयोगी माने गए हैं।

**कुंडली मिलान कोई अंधविश्वास नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है** जो दो व्यक्तियों के बीच मानसिक, शारीरिक और आत्मिक साम्य का विश्लेषण करता है। अष्टकूट मिलान से यह तय किया जाता है कि *विवाह के बाद जीवन सुखद रहेगा या नहीं*।

“गुणों की संख्या से अधिक, उन गुणों की गुणवत्ता और ग्रहों की स्थिति ही विवाह की सफलता तय करती है।”

यदि आप विवाह से पहले कुंडली मिलवाना चाहते हैं या किसी प्रकार का *नाड़ी दोष, भकूट दोष, मांगलिक दोष* आदि की जानकारी चाहते हैं, तो नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क करें:

📲 **Pin Point Astrology – 7415075395**

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