तलाक और वैवाहिक कलह: ज्योतिषीय कारण और निवारण

आज के समय में तलाक और वैवाहिक कलह एक आम समस्या बनती जा रही है। जहाँ विवाह को भारतीय संस्कृति में पवित्र बंधन माना गया है, वहीं जीवनसाथी के बीच बढ़ते विवाद, मानसिक असंतोष और आपसी दूरी रिश्तों को कमजोर कर रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र हमें यह बताता है कि ग्रहों की स्थिति और कुंडली में कुछ विशेष योग ऐसे होते हैं, जो दांपत्य जीवन को प्रभावित करते हैं। आइए जानते हैं तलाक और वैवाहिक कलह के ज्योतिषीय कारण और उनके समाधान।

विवाह और दांपत्य जीवन से जुड़े मुख्य भाव

ज्योतिष शास्त्र में कुछ खास भाव (हाउस) होते हैं जो विवाह और वैवाहिक जीवन का प्रतिनिधित्व करते हैं:

  1. सप्तम भाव (7वाँ घर) – जीवनसाथी, विवाह और दांपत्य जीवन।
  2. चतुर्थ भाव (4था घर) – मानसिक शांति और घरेलू सुख।
  3. अष्टम भाव (8वाँ घर) – वैवाहिक जीवन की स्थिरता और अंतरंग संबंध।
  4. द्वादश भाव (12वाँ घर) – वैवाहिक जीवन में त्याग, समझौता और विदेश संबंध।

यदि इन घरों में अशुभ ग्रहों का प्रभाव अधिक हो, तो रिश्तों में तनाव, गलतफहमियाँ और अलगाव की स्थिति पैदा होती है।

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तलाक और वैवाहिक कलह के ज्योतिषीय कारण

1. सप्तम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव

यदि सप्तम भाव या उसके स्वामी पर शनि, राहु, केतु या मंगल जैसे ग्रहों का दुष्प्रभाव हो, तो जीवनसाथी के साथ लगातार विवाद, झगड़े और मानसिक असंतोष होता है।

2. मंगल दोष (मांगलिक योग)

जब मंगल 1, 4, 7, 8 या 12वें भाव में स्थित हो, तो उसे मांगलिक दोष कहा जाता है। यह पति-पत्नी के बीच आक्रामकता, गुस्सा और टकराव की वजह बन सकता है।

3. राहु और केतु का प्रभाव

राहु भ्रम, झगड़ा और अविश्वास लाता है, जबकि केतु अलगाव और मानसिक दूरी पैदा करता है। यदि सप्तम भाव या शुक्र पर इन ग्रहों का प्रभाव हो तो विवाह टूटने की संभावना बढ़ जाती है।

4. शनि का नकारात्मक प्रभाव

शनि ग्रह रिश्तों में दूरी, ठंडापन और देरी पैदा करता है। यदि शनि सप्तम भाव में हो या शुक्र पर दृष्टि डालता हो, तो पति-पत्नी के बीच भावनात्मक दूरी बढ़ सकती है।

5. शुक्र और चंद्रमा की अशुभ स्थिति

शुक्र प्रेम और दांपत्य जीवन का कारक है, जबकि चंद्रमा मानसिक शांति देता है। यदि ये दोनों ग्रह कमजोर हों या पाप ग्रहों से पीड़ित हों, तो रिश्तों में संतोष और आकर्षण कम हो जाता है।

6. अष्टम और द्वादश भाव की अशांति

अष्टम भाव अस्थिरता दर्शाता है, जबकि द्वादश भाव वैवाहिक त्याग। यदि इन भावों पर नकारात्मक प्रभाव हो, तो विवाह में धोखा, विवाद या तलाक तक हो सकता है।

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वैवाहिक कलह और तलाक से बचने के ज्योतिषीय उपाय

ज्योतिष केवल समस्या ही नहीं बताता, बल्कि समाधान भी देता है। यदि कुंडली में तलाक या कलह के योग हों, तो इन उपायों से रिश्तों को सुधारा जा सकता है।

1. शुक्र और चंद्रमा को मज़बूत करना

  • शुक्रवार के दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें।
  • चाँदी की अंगूठी में मोती (चंद्रमा हेतु) या हीरा/जिरकॉन (शुक्र हेतु) धारण करें।
  • पति-पत्नी एक-दूसरे को सफेद या गुलाबी रंग की वस्तुएँ उपहार में दें।

2. मंगल दोष का निवारण

  • मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएँ।
  • मंगलवार के दिन व्रत रखें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • विवाह से पहले कुंभ विवाह या विशेष पूजा करवाई जा सकती है।

3. शांति और सामंजस्य के लिए मंत्र जाप

  • “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
  • दंपत्ति को रोज़ाना मिलकर शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए।

4. ग्रह दोष निवारण पूजा

  • राहु-केतु दोष शांति के लिए कालसर्प योग पूजा।
  • शनि दोष के लिए शनि मंत्र जाप और पीपल के पेड़ की पूजा।

5. सरल घरेलू उपाय

  • पति-पत्नी हर शुक्रवार को एक साथ मंदिर जाएँ।
  • घर में कभी भी अलग बिस्तर पर सोने की आदत न डालें।
  • शनिवार को तिल या सरसों का तेल दान करें।

वैवाहिक जीवन में समझ और धैर्य की आवश्यकता

ज्योतिषीय उपायों के साथ-साथ सबसे महत्वपूर्ण है पति-पत्नी के बीच संवाद, विश्वास और धैर्य। ग्रहों का प्रभाव केवल परिस्थितियाँ बनाता है, लेकिन रिश्तों को संभालना हमारे अपने हाथ में होता है। यदि दोनों साथी एक-दूसरे की भावनाओं को समझें और समय पर संवाद करें, तो बड़े से बड़ा विवाद भी खत्म हो सकता है।

तलाक और वैवाहिक कलह केवल ग्रहों की वजह से नहीं होते, बल्कि कई बार हमारी सोच, स्वभाव और व्यवहार भी इसे बढ़ाते हैं। ज्योतिष हमें इन समस्याओं को समझने और उनके समाधान खोजने में मदद करता है। सही समय पर किए गए उपाय, पूजा-पाठ और सकारात्मक दृष्टिकोण से रिश्ते को बचाया जा सकता है।

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